जोहार हो संगी
आगे आगे हरेली
आवा आवा, खापा गेडी
नाचा गावा, बनाव हरेली
सावन के पहली तिहार मानो
बारिश के रिमझिम फुहार जानो
ख़ुश होगे जन्मों किसान संगी
मेहनत करे वर जोहार पेली
हरेली... आगे आगे हरेली...
नंगरिहा के जम्मो औज़ार खोजव
नागर आउ गैंती, कुदाल पूजव
बइला ला जोड़ी संग फांद कुदव
देवता मनाव घर लीम खोंचली
हरेली... आगे आगे हरेली...
रचरिच ले डंडा आउ बांस बाजे
गेडी मा जम्मो जवान साजे
दऊडे मताएँ चीखना सबो झन
नरियर फेकुल गुलाल खेली
हरेली... आगे आगे हरेली...
आगी जलाबो, तेलाही चढ़ाबो
अम्मठ कोचाई के साग खाबों
गुड़ चना नून गरूवा ख़वात
चीला आऊँ मिरचा के झार झेली
हरेली... आगे आगे हरेली...
घुमड़-घुमड़ के नाचे बदरिया
सावन के फाग गाए गोदरिया
नागर फंडा गे जोतन जहुरिहा
हरियर लहरावत हे धनहा-डोली
हरेली... आगे आगे हरेली...
रविन्द्र दुबे 'बाबु' - कोरबा (छत्तीसगढ़)