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स्वतंत्रता दिवस पर 10 लोकप्रिय शेर | 15 अगस्त के अवसर पर पढ़िए लोकप्रिय शायरों के देशभक्ति शेर
'स्वतंत्रता दिवस' यह वह दिन है जब हम अपनी आज़ादी के संघर्ष की याद में उन वीर स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हैं जिन्होंने अप…
प्रेम की परिभाषा में - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
अर्पण लिख दूँ, समर्पण लिख दूँ लिख दूँ पा लेना सब कुछ या त्याग का दर्पण लिख दूँ मीरा का तप त्याग लिख दूँ सिया का बैराग लिख दूँ या राधा …
सपने - कविता - रूशदा नाज़
बचपन में परिवर्तित होते थे हमारे सपने कभी डॉक्टर, वैज्ञानिक, शिक्षक, इंजीनियर सब कुछ चाहते थे मानों छू लेना चाहते थे आकाश उम्र के …
देर लगे पर आना तुम - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
बूँद-बूँद बरसात जब हो सावन की सौग़ात जब हो दिल के दरिया में डूबा कोई ख़्वाब नया सँवार जब हो मेघ घिरे जब धरा-सरोवर रंगीन घटा बन जाना तुम…
देश की पुकार - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'
देश की पुकार में शत्रु की ललकार में, छोड़ मोह प्राण का सिंह सा दहाड़ दो। यदि चढ़े ये देश में दानवों के वेश में, काट शीश रुण्ड से धरा म…
आज़ादी का ये उपहार - कविता - राज कुमार कौंडल | स्वतंत्रता दिवस पर कविता
15 अगस्त 1947 का दिन था बहुत महान, स्वधीनता की फ़िज़ा में गा रहा था हिन्दोस्तान। सब भारतवासियों का पूरा हुआ अरमान, यूनियन जैक हुआ गुम, त…
तू चल तू आगे बढ़ - कविता - निधि चंद्रा
तू चल तू आगे बढ़ इन हालातों का सामना कर चल तू अपना भविष्य गढ़ कोई बात तुझे तोड़ नहीं सकती और तेरा परिश्रम अगर सच्चा है तो कठिन से कठिन…
सहज होना - कविता - संजय राजभर 'समित'
सहज रहना बहुत ही मुश्किल काम है हर वक्त काम, क्रोध, मोह, लोभ, तृष्णा से लड़ना पड़ता है, एक ईश्वर और एक मानव में बस एक यही फ़र्क़ ह…
ओ तिरंगा - गीत - सूर्य प्रकाश शर्मा
ओ तिरंगा! तेरी शान रहे, तेरी ख़ातिर, मेरी जान रहे। मेरे देश का अभिमान रहे, ओ तिरंगा! तेरी शान रहे। तेरी छाया के तले, पूरा देश चलता है,…
नाग पंचशील - कविता - विनय विश्वा
किताबें चेतना पर पड़ी धूल को चमका देती है, अगर वह अपनी ऐतिहासिकता उपयोगिता में उपमेय है तो क्योंकि रूपक वही हो सकता है जिसका जीवंत रुप…
पापा का जाना - कविता - तुलसी सोनी
आँखों के सामने छा गया अचानक अंधकार। मैं ज्वालामुखी में जल रहा था, अतिवृष्टि से मेरा हृदय दहल रहा था, भूकंप के झटकों से मैं डोल रहा था,…
कहाँ मिलेगी अब वह छाँव? - कविता - कुमुद शर्मा 'काशवी'
रहा कहाँ अब वो परिवार का मुखिया, वटवृक्ष सम जो कभी सीना तान खड़ा था, उदित हुए थे जिसकी छत्रछाया में नव पल्लव खिले थे पुष्प सुनहरे आँग…
कुछ न होते हुए झूठे अरमान में है - कविता - उमेन्द्र निराला
कुछ न होते हुए झूठे अरमान में है, पर कटा परिंदा भी अब उड़ान में है। रहे शिकन माथे पर कस रहे थे ताने, जीत हुई निश्चय तो सारा जहान है। गा…
दोस्ती अमरकंटक - कहानी - घनश्याम तिवारी | दोस्ती पर कहानी
स्कूल से घर लौटकर आराम ही कर रहा था कि सचिन सर का फ़ोन आ गया। पिकनिक जाने का प्लान बनाया था सचिन सर ने। मैंने कहा – यार मुझे कैसे याद क…
नन्हा-सा पौधा - कविता - बिंदेश कुमार झा
धरती की छत तोड़कर, एक पौधा बेजान-सा आकार, सूर्य की लालिमा से प्रोत्साहित उठ रहा है देखने संसार। बादलों ने चुनौतियाँ दीं पत्थर की बूंदे…
स्त्रीत्व - कविता - आलोक गोयल
देवी बनने की चाह नहीं नारी ही मुझको रहने दो, बाँधों से मत रोको अब स्वच्छंद नदी-सी बहने दो। मैं पूजा की वस्तु नहीं इतना भी अभिमान ना द…
आज़ादी - नज़्म - फ़िराक़ गोरखपुरी | स्वंत्रता दिवस पर नज़्म
मिरी सदा है गुल-ए-शम्-ए-शाम-ए-आज़ादी सुना रहा हूँ दिलों को पयाम आज़ादी लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज…
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