पापा का जाना - कविता - तुलसी सोनी

पापा का जाना - कविता - तुलसी सोनी | Kavita - Papa Ka Jaana - Tulsi Soni | पिता की मृत्यु पर कविता, Hindi Poem to Father's Death
आँखों के सामने छा गया
अचानक अंधकार।
मैं ज्वालामुखी में जल रहा था,
अतिवृष्टि से मेरा हृदय दहल रहा था,
भूकंप के झटकों से मैं डोल रहा था,
चक्रवात मुझे झकझोर रहा था,
मैं फूट-फूट कर रो रहा था
क्योंकि मेरे अश्रु पोछने वाला
अब सो रहा था।
हम हँस के यह सारे आपदा सह जाते
अगर हमारे पालक जग जाते।
लेकिन ईश्वर इन्हें अपनी गोद में सुला गया,
हमारे आँखों के सामने घोर अंधकार छा गया।

तुलसी सोनी - बलिया (उत्तर प्रदेश)

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