संदेश
ख़ुद को ढूँढ़ने की राह - कविता - रूशदा नाज़
हर शख़्स को यादों में रोते देखा है व्यथित होकर ख़ुद को सम्भालतें देखा है ख़ुद से प्यार करने की सलाह सब देते है प्रेम में बिखरने के बाद ये…
समझो जीवन मुस्कान खिले - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
पूर्ण सकल मन आश विभव सुख, जब ख़ुशियों का अंबार खिले। हर उदास मुख महके राहत, समझो जीवन मुस्कान खिले। काश हृदय अभिलाषा झंकृत, पुरुषार्थ व…
फिर फिर जीवन - कविता - रोहित सैनी
अगर कभी तुम्हें लगे अकेले ही पर्याप्त हो तुम अपने लिए जब लगे अकेले जीवन जिया जा सकता है, मुश्किल नहीं! तब अपनी जान का पूरा दम लगाकर फि…
फिर से नवसृजित होना - कविता - कमला वेदी
मनुष्य को जवाँ और ज़िंदा बनाए रखती है छोटी-छोटी ख़ुशियाँ छोटे-छोटे एहसास जीने को ज़रूरी है थोड़ी-सी चाह थोड़ी-सी प्यास हास-रोदन के अनगिनत ए…
आत्मबोध - कविता - प्रवीन 'पथिक'
इस क़दर ज़िंदगी को जिए जा रहा था, कि हर क़दम पर मेरा साथ दोगे। पाथेय बनकर सदा रहोगे मेरे साथ; ऑंचल की छाँव की तरह। लेकिन तुमने तो कुछ दूर…
आत्म संवाद - कविता - अंजू बिजारणियां
ये जवानी का दौर, दूसरी ओर सफलता प्राप्ति का शोर। पड़ रहा मुझ पर मेरा ही ज़ोर। अपने आप में रहना भी चाहूँ, निकलना भी चाहूँ, छाया कोहरा चा…
जीवन है अनमोल जगत में - कविता - रमेश चन्द्र यादव
जीवन है अनमोल जगत में, संभल कर क़दम उठाना रे। ग़लती कोई हो जाए एकबार, तो उसको ना दोहराना रे। मत सोचो तुम हो अकेले, नहीं कोई है साथ तुम्…
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