संदेश
फिर से नवसृजित होना - कविता - कमला वेदी
मनुष्य को जवाँ और ज़िंदा बनाए रखती है छोटी-छोटी ख़ुशियाँ छोटे-छोटे एहसास जीने को ज़रूरी है थोड़ी-सी चाह थोड़ी-सी प्यास हास-रोदन के अनगिनत ए…
आत्मबोध - कविता - प्रवीन 'पथिक'
इस क़दर ज़िंदगी को जिए जा रहा था, कि हर क़दम पर मेरा साथ दोगे। पाथेय बनकर सदा रहोगे मेरे साथ; ऑंचल की छाँव की तरह। लेकिन तुमने तो कुछ दूर…
आत्म संवाद - कविता - अंजू बिजारणियां
ये जवानी का दौर, दूसरी ओर सफलता प्राप्ति का शोर। पड़ रहा मुझ पर मेरा ही ज़ोर। अपने आप में रहना भी चाहूँ, निकलना भी चाहूँ, छाया कोहरा चा…
जीवन है अनमोल जगत में - कविता - रमेश चन्द्र यादव
जीवन है अनमोल जगत में, संभल कर क़दम उठाना रे। ग़लती कोई हो जाए एकबार, तो उसको ना दोहराना रे। मत सोचो तुम हो अकेले, नहीं कोई है साथ तुम्…
ज़िंदगी एक क्रिकेट - कविता - पारो शैवलिनी
ज़िंदगी के पिच पर भावनाओं का छक्का मारा था मैंने सोचा था– जीत लूँगा मंज़िल रूपी मैच को मगर, दूर खड़े आवश्यकताओ के सिली प्वाइंट पर खड़े ए…
इस जीवन के हर पृष्ठ पर - नवगीत - सुशील शर्मा
इस जीवन के हर पृष्ठ पर लिखे हुए उर के स्पंदन। तेरे अधरों की वँशी पर मेरे गान की लय होती हर पल हर क्षण तड़प वेदना भय बोती सकल आस के बंध…
क्या ज़िंदगी थी - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
कुछ ज़मीं, कुछ आसमाँ कुछ मुस्कुराहटें और कुछ सामाँ कुछेक सिक्के, कुछ घूँट आब क्या ज़िंदगी थी जनाब। ख़ुशियों की... दस्तक की दरकार नासमझ-स…
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