मान्यवर कांशीराम साहब जी - कविता - निशा राज अम्बेडकर

बड़ा ताकतवर था वो शक्श,
जो अम्बेडकर को फिर से
जिंदा कर गया!!

बुद्ध, फुल्ले, शाहू, 
पेरियार, अम्बेडकर का
सच्चा वारिस था वो,
जो उनके अधूरे मिशन को,
एक नए शिखर तक
पहुंचा गया!!

मिशन की खातिर
अपना सब कुछ
कुरबान वो कर गया!!

बड़ा धूनी था वो शक्स,
जो सेहरे के बदले
अपनी माँ से
कफन की मांग कर गया!!

साइकिल पर निकला था
"साहब" वो अकेला,
जहाज़ में बैठानेे की हमारी
औक़ात वो बना गया;

बहुजन आंदोलन की अलख,
फिरसे वो जगा गया;
ताकत हमारे वोट की,
हमको वो समझा गया;

मांगनेवाले से उठाकर,
देनेवाला बना गया!!
जहाजो में उड़ने वाले
दुश्मनो को भी,
वो रास्ते पर चलने को
मजबूर कर गया!!

बहुत महान था वो शक्श,
जो हमे मिशन सीखा गया!!
जो "बहुजन नायक" कहा गया!!

फक्र है हमें की
उसके कैडर है हम
जो आम आदमी से
"मान्यवर साहब" बन गया!!

भीम रमा सावित्री फुले का
बेटा वो "कांशी"
त्याग की एक
नई मिसाल बना गया!!

झेल कर दुःख और कष्ट माॅ-बाप ने तुम्हारे,
इस जमीन से आसमां पर बैठाया..!!
न जाने कितने कष्ट और अपमान सहे बाबा,
साहेब अम्बेडकर जी और मान्यवर कांशीराम साहब ने..!!
बहुजनों के सरताज समाज आपका हमेशा ऋणी रहेगा..!!

निशा राज अम्बेडकर - जनपद, फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)

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