लॉक डाउन 4 से जनता को सरकार से काफी कुछ उम्मीदें हैं - लेख - सुषमा दिक्षित शुक्ला


यह लॉक डाउन  4 एक नयी रूपरेखा के साथ 18 मई को आ रहा है । एक तरफ लोग कोरोना महामारी से डर रहे हैं दूसरी ओर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना भी जरूरी है।
सबसे बड़ी जरूरत है, घर चलाना।
निम्न एवं मध्यम वर्ग पर इसका बहुत गहरा असर है । अतः इसका कुछ ठोस हल निकालना होगा ।
यातयात मे भी कुछ छूट होनी चाहिए । दुकानों व व्यापारियों के लिए दिन व समय के अनुसार बदलाव होने चाहिए । जिन आफिस का काम घर से चल रहा है उन्हें अभी घर से ही चलने दिया जाय। उद्योग के क्षेत्र मे लघु एवं कुटीर उद्योग  को सावधानी के साथ चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए । घर लौटे प्रवासियों से लोग कोरोना संक्रमण फैलने के डर से आशंकित हैं अतः  प्रवासियों को क्वारेंटेन  एवं बेहतर इलाज दिया जाय।
सरकार की यह  भी जम्मेदारी बनती है कि आमजन को यह समझाया जाय की लॉक डाउन का फैसला लोगों को सुरक्षित करने के लिए ही है बेवजह परेशान करने के लिए नही।सरकार को ऐसे में सामाजिक सुरक्षा पेंशन लागू कर देनी चाहिए । सभी असहाय व निर्बल वर्ग के लिए सामुदायिक रसोई ब्लॉक स्तर व मोहल्ले के स्तर पर चालू कर देनी चाहिए ताकि कोई भी भूखा न रहे ।
बच्चों की पढ़ाई लिखाई तो अभी आन लाइन ही उचित है ।
विद्युत बिलों मे फ्री चार्ज की वसूली स्थगित हो । सर्वे  व टेस्टिंग का दायरा बढ़ाया जाय ताकि व्यापक रूप से कोरोना  की जांच हो सके ।

सारे हालात  ध्यान में रखकर सरकार ने  1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया है यह रकम 2019, 2020 के वित्तीय वर्ष में भारत के संशोधित ज़ी टी वी का केवल दशमलव 83% है । अन्य देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के अनुपात में कहीं बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। ऐसे में अगर देश को जनता को सरकार से आर्थिक मदद मिल जाती है , तो बहुत ही अच्छा है  मगर फिर भी यह कम ही है। मगर फिर भी कुछ तो राहत होगी  क्योंकि वित्तीय संकट सरकार के सामने भी है एवं लोगों के सामने भी । सामंजस्य स्थापित करके ही आगे बढ़ना होगा । खासकर जो अत्यंत निर्बल  एवं गरीब वर्ग है। कम से कम उनको इतना राहत पैकेज तो  अवश्य मिले कि भूखों न मरना पड़े ।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अभी लॉक डाउन को खत्म करने का मतलब आत्महत्या करने के समान होगा। अतः ऐसे में सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लॉक डाउन  अभी कुछ आवश्यक छूट व  सहयोग देते हुए आगे तक जारी रखें।  कम से कम इतना सहयोग तो अवश्य करें कि लोग भूखों ना मरे  ,सुरक्षित भी रहें ।

सुषमा दिक्षित शुक्ला

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