क्या बताऊँ तुझे मेरे दिल की
मुझे जरूरत है तेरे दिल की
ऐसे चलती हो लचक -लचक कर
जैसे मुरगाई हो कोई जल की
क्या कहना है तेरी सादगी का
क्या तारीफ करुँ तेरी शक्ल की
मर जाता हूँ बिन मारे ही मैं तो
जब मुस्काती हो हल्की - हल्की
तेरे हुस्न की चलती हैं जब आँधियाँ
बत्ती गुल हो जाती है मेरी अक्ल की
ना निकलो तुम बन - सँवर कर
हवा खराब है जानम आजकल की
तुझे पाने की करूँगा में हर कोशिश
आशिक आशा नहीं रखते फल की
अगर मुझे तेरा प्यार ये मिल जाये
तो आसां हो जाये हर घड़ी मुश्किल की
मत उल्लू बनाओ तुम पँवार को
खबर रखता हूँ मै तो पल -पल की
समुन्दर सिंह पंवाररोहतक (हरियाणा)