संदेश
चंट लेखिका - रिपोर्ताज - ईशांत त्रिपाठी
क्या लिखते हो रंजन भाई!! सच कहूँ तो जो कोई भी आपके लेखन को पढ़ेगा तो इन शब्द-अर्थ और विषय के सौन्दर्य में उसकी तादात्म्यता हो ही जाएँग…
मैं क्यों लिखता हूँ? - कविता - गोकुल कोठारी
या छंद हैं? या द्वन्द्व हैं? या भीतर का दावानल? या मिटाने तीव्र तपन को शब्द बने हैं गंगाजल? या साकार हूँ? या निर्विकार हूँ? या लीक से …
कलम का पुजारी - कविता - रमाकांत सोनी
नज़र उठाकर देखो ज़रा, पहचान लीजिए। कलम का पुजारी हूँ, ज़रा ध्यान दीजिए। शब्दों की माला लेकर, भाव मोती पिरोता हूँ। काग़ज़ कलम लेकर, मैं सप…
हम लेखक हैं जनाब - कविता - दीक्षा
काश! लोग समझ पाते काश! एक लेखक की ज़िंदगी से रू-ब-रू हो पाते, वो कैसे लिखता है वो ही जानता है घंटो बैठकर लिखने के लिए बस चाँद को निहारत…
क़लमकार - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
कविता में क्या लिखोगे कवि? शृंगार, सौंदर्य के गीत कामिनी कंचन के आर्वत– नहीं नहीं लिखो– शहीदों का बलिदान भ्रष्टाचार का उन्मूलन दहेज कन…
आख़िर क्या करता? - लघुकथा - प्रवेन्द्र पण्डित
पूरी ऊर्जा युवावस्था का अंतिम चरण काम और नाम की प्रबल चाह लिए साहित्यिक विचारों का सैलाब हृदय में हिलोरें मारता हुआ, वहीं युवा संतान ब…
कविताएँ सब कुछ कहती हैं - कविता - सतीश शर्मा 'सृजन'
अनुराग बिखेरे फिरती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। निर्झर बन करके बहती हैं, कविताएँ सब कुछ कहती हैं। प्रिय ग्रन्थों के अध्यायों में, बन…