क़लमकार - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'

कविता में क्या लिखोगे कवि?
शृंगार, सौंदर्य के गीत
कामिनी कंचन के आर्वत–
नहीं नहीं
लिखो–
शहीदों का बलिदान
भ्रष्टाचार का उन्मूलन
दहेज कन्या भ्रूण नारी उत्पीड़न–
जैसे कृत्यों का विरोध
आतंक का विरोध
ओ कवि! फूँको तूर्य
जगाओ -
भारत भारती और भारतीयता

शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली' - फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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