संदेश
अजनबी सहेली - लघुकथा - नृपेंद्र शर्मा 'सागर'
जब संजना की आँख खुली तो उसने ख़ुद को एक अनजान कमरे में बिस्तर पर पड़े पाया, उसने हिलने की कोशिश की तो उसे महसूस हुआ कि उसके सारे शरीर मे…
हैवानियत हावी है अब इंसानियत पर - ग़ज़ल - एल. सी. जैदिया "जैदि"
हैवानियत हावी है अब इंसानियत पर। तरस खाता नही है कोई मासूमियत पर।। भूल से भरोसा मत करना इस जहां मे, बैठा हो ज़ालिम चाहे जिस हैसियत पर। …
बेटियों की पीड़ा - कविता - संजय राजभर "समित"
मैं डरती नही हूँ, हिंसक पशु - पक्षियों से भूत प्रेत से अथक परिश्रम से, हाँ मैं डरती हूँ, मानव लिबास में छिपे नरभक्षियों से, मैं कहाँ…
मर गयी है इंसानियत - कविता - विजय कुमार निश्चल
मर गयी है इंसानियत फैल रही है हैवानियत मासूम बच्चियों से बलात्कार खो रही है आदमियत बेटियाँ घर से बाहर निकलते डरती है जैसे तैसे वहशी बु…
क्या दो ही थे हैवान? - कविता - सूर्य मणि दूबे "सूर्य"
यह कविता समाज के उन लोगों को समर्पित है जो समाज में सामने होते अत्याचार पर मात्र तमाशा देखते रहते हैं मदद की कोई कोशिश नहीं करते। बल्ल…
हथिनी और हैवानियत - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
पानी में तड़प कर, जान दिए जाने पर, साथी हाथी शोक मनाते, खड़े वहां पर। हाथी अपनी सूंड से, स्पर्श करता रहा। संवेदना प्रकट! मौन श्…