मैं डरती नही हूँ,
हिंसक पशु - पक्षियों से
भूत प्रेत से
अथक परिश्रम से,
हाँ मैं डरती हूँ,
मानव लिबास में छिपे
नरभक्षियों से,
मैं कहाँ विस्वास करूँ?
घर में?
स्कूल, मंदिर, चिकित्सालय में?
खेत खलिहान, आफिस में?
कहाँ सुरक्षित हूँ मैं?
हे बहनों!!
पग-पग पर तुझे लड़ना है,
सृष्टि के संचालन में,
अपना सर्वस्व लुटाना है।
संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)