संदेश
मेरी तबियत ख़राब है - हास्य कविता - शुभम पाठक
डॉक्टर साहब मेरी तबीयत ख़राब है, इसके पीछे की वजह सिर्फ़ शराब है। एक बार मुझे ठीक कर दो, मेरे अंदर दवा गोलियों का डोज भर दो। फिर कभी नही…
दारू या मेहर - लोकगीत - संजय राजभर 'समित'
दारू या मेहर फरियाईलय हो फरियाईलय अब ना रहब भवनवा। बहुतय परेशान कईलय सजनवा, अब ना रहब भवनवा। दारू या... गहना गुरिया थरिया लोटा बेचाइल…
बेपरवाह शराबी - कविता - रंजीता क्षत्री
शराबी का क्या काम? गाली-गलौज और अपनों का जीना करे हराम। शराबी की हालत कैसी? बिल्कुल नासमझ... पागल जैसी। शराबी के पीठ पीछे सब छि-छि करत…
नशा - कुण्डलिया छंद - डॉ. अवधेश कुमार अवध
पीते-पीते कह गया, होती बहुत ख़राब। दूर रहो इससे अवध, कहते जिसे शराब।। कहते जिसे शराब, शराफ़त की है दुश्मन। सरेआम बदनाम, कराती द्वारे-आँग…
मधुशाला- एक उन्माद - कविता - कर्मवीर सिरोवा
गया एक बार मैं अपने सपने का इंटरव्यू देने, उस रास्ते बीच मँझधार नज़र आई मधुशाला अपने, जिसे देख ठिठक गए हर किसी के सपने, मुझें लगा अजीब,…
पी रहा हूँ मधु अभी मैं - कविता - राम प्रसाद आर्य
पी रहा हूँ मधु अभी मैं, कभी मुझको ये पीएगी। पीकेे इसको जी रहा मैं, कभी पी मुझे ये जिएगी।। मानो गर इसको दवा, तो ये दवा है , मानो…
नशेड़ी माटसाब - कविता - कर्मवीर सिरोवा
वो आज फिर वक्त से निकला हैं, क्या लगता हैं आज स्कूल पहुँच जायेगा। उसकी प्यासी रगें इस उजलत में थी, इस राह ठेका आयेगा। जेब में पड़ी नोटे…