संदेश
युद्ध का औचित्य - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब भ्रम ही सच्चा लगता हो, तब सत के पथ पर कौन चले। जब द्वार खड़े हों वायुयान, घोड़ों के रथ पर कौन चले॥ तिलमिला उठे जब बर्बरता, कुलबुला …
वज़नी बात - कविता - संजय राजभर 'समित'
जोर-जोर से चिल्ला कर अपनी बात मत कहो! क्योंकि छिछले लोग ध्यान देगें गहरे विचारक नहीं, गहन विचार केवल चिंतन-मनन से आती है गहरे विचारक …
शिक्षा, ज्ञान और विद्यार्थी - कविता - सिद्धार्थ 'सोहम'
लगता है हार रहा हूँ मैं, ख़ुद से, या ख़ुद को, जो सपने सँजोए वो शायद मेरे थे ही नहीं, जो हैं तो, लगता है थोपे गए है, बचपन से तुलना मेरी ह…
संतोष से बड़ा सुख नहीं - कविता - गणेश भारद्वाज
संतोषी जन बहुत सुखी हैं, स्वार्थ की दुनियादारी में। झूम उठा जो एक ही गुल पर, क्या करना उसको क्यारी में? सीख लिया थोड़े में जिसने, …
पदचिह्न - कविता - संजय राजभर 'समित'
आया था चला जाऊँगा खाली हाथ आया था पर कोशिश है खाली हाथ न जाऊँ कुछ पद चिन्हों को छोड़ जाऊँ और वही पद चिन्ह छोड़ पाते हैं जो मानव सभ्यता…
बदलो जीवन चरित को - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
बदलो जीवन चरित को, भर पौरुष सतरंग। रखो भाव पावन हृदय, भारत भक्ति उमंग॥ बढ़ो अटल संकल्प पथ, बनो राष्ट्र पहचान। परमारथ पौरुष सफल, परह…
तकरार - कविता - देवेश द्विवेदी 'देवेश'
ध्यान से सुनो एक बात बताता हूँ, नई नहीं है फिर भी दोहराता हूँ। दुनिया की यही रीति यही क़ायदा है, दो की लड़ाई में तीसरे का फ़ायदा है। तीस…