संदेश
तुम साथ हो जाना - कविता - मेहा अनमोल दुबे
जब रंग अपनी छटा बिखेरें, तुम साथ हो जाना, जब नील गगन सफ़ेद रंग सजाए, तुम साथ हो जाना, अमलतास जब सफ़ेद पीले गुच्छों को धरती पर बिखेरें, …
तुम्हारा साथ - कविता - योगेंद्र पांडेय
टूटते बिखरते सपनों को संभालने के लिए ज़रूरी है तुम्हारा साथ। तुम रहोगे साथ मेरे सह लेंगे हर दुख-सुख रो लेंगे एक पल के लिए तुम्हारे कं…
अगर साथ देते जो - गीत - प्रमोद कुमार
अगर साथ देते जो, तुम भी हमारे, तो रख देते क़दमों में, दुनिया तुम्हारे। सरल सुखदायी, सुन्दर सुशील हो, निर्मल हो पावन ज्यूँ, गंगा के धारे…
मुझे साथ रहने दो - कविता - संजय कुमार चौरसिया
कश्ती डूब जाने दो, किनारा साथ रहने दो। समन्दर सूख जाने दो, रेत के साथ बहने दो। न आया बसंत तो जाने दो, पर पतझड़ साथ रहने दो। कली झुलस ग…
आओ सब एक हो चले - कविता - दीपक राही
मैं कहूँगा, आओ सब एक हो चले। अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ चले, फिर कोई आएगा, आपके इरादों को, कुचल कर चला जाएगा, मैं फिर भी कहूँगा, आओ सब …
साथी मेरे - गीत - नृपेन्द्र शर्मा 'सागर'
साथी मेरे, हमदम मेरे, मैं साथ हूँ, हरदम तेरे। दिल में है तू, साँसों में तू, पलकों में हैं, सपने तेरे। साथी मेरे, हमदम मेरे। दुनिया है …
ज़माने में नहीं कुछ बस तुम्हारा साथ काफ़ी है - ग़ज़ल - प्रशान्त 'अरहत'
अरकान : मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन तक़ती : 1222 1222 1222 1222 ज़माने में नहीं कुछ बस तुम्हारा साथ काफ़ी है, बिताने को अवध की शा…