बदलते हालात - कविता - महेश कुमार हरियाणवी

बदलते हालात - कविता - महेश कुमार हरियाणवी | Hindi Kavita - Badalte Haalaat - Mahesh Kumar Hariyanavi. बदलते हालात पर कविता
अच्छी बातें अच्छी लगती,
अच्छों का दे साथ।
बुरे स्वयं मर जाएँगे जब,
बदलेंगे हालात। 

पथ कहाँ कब एक रहा, रही
हिलती-डुलती साख।
सूरज आख़िर निकलेगा तो,
छट जाएगी रात।

आज तो तेरा साथ है ना,
कल की कल हो बात।
साँसों में ढलता जीवन है,
जलती जाए बात्त।

कितनो को सुख-चैन मिला हैं,
कितने देते जात।
कितने अब भी खेल रहे हैं,
अपनी-अपनी बात।

खोज स्वयं को ख़ास मिलेगा,
प्रिज्म के रंग सात।
अश्वन संग रुकना नहीं ले,
भावों की बारात।

क्यों दरिया से डरता हाथी?
जबतक तिनका हाथ।
अँधकार गहराया लेकर,
तारों की सौग़ात।

सब्जी पैदा होगी माली,
पहले कर शुरुआत।
तेरे क़दम हैं क़ीमत तेरी,
कर काँधे हालात।

अच्छी बातें अच्छी लगती,
अच्छों का दे साथ।
बुरे स्वयं मर जाएँगे जब,
बदलेंगे हालात।।


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