रक्षा बन्धन या राखी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | रक्षाबंधन पर दोहे

रक्षा बन्धन या राखी - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | रक्षाबंधन पर दोहे | Rakshabandhan Dohe
आज श्रावणी पूर्णिमा, राखी का त्यौहार।
उत्सव भाई बहन का, प्रेम सरित रसधार॥

कच्चा धागा प्रेम का, पक्का धागा प्रीति।
भाई बहन अद्भुत मिलन, प्यार भरी यह रीति॥

राखी शुभ रक्षा कवच, बहना का विश्वास।
भातृहृदय उद्गार यह, माँ ममता आभास॥

मातृ समा बहना हृदय, स्नेहांचल नित छाव।
भाई का शुभ आगमन, अनुपम स्नेहिल भाव॥

थाल सजा बहना खड़ी, ले अक्षत सिन्दूर।
दीप जला नयना मुदित, देखी भाई नूर॥

सज सोलह शृंगार तनु, चारु पहन परिधान।
विदा बहन ससुराल से, चली भातृ सम्मान॥

देख बहन मुस्कान को, कुसमित भाई फूल।
सुरभित मन पुलकित हृदय, मुदित बहन अनुकूल॥

बाँध कलाई राखियाँ, तिलक चाउर कपाल।
दीप जला की आरती, हर्षित बहना चाल॥

सजी कलाई हर्ष मन, भाई दे उपहार।
बहना को रक्षा वचन, दे ख़ुशियाँ सुखसार॥

बहना स्नेहाशीष दी, ली भाई को चूम।
अवगाहन स्नेहिल सलिल, मची आज है धूम॥

समरसता त्यौहार यह, रक्षा-सूत्र अमोल।
सर्वधर्म सम्भाव का, स्नेह सुधा रस घोल॥

सिन्धु घाटी चली प्रथा, स्नेहिल आशीर्वाद।
मातु पिता गुरु श्रेष्ठजन, पावन हृदय प्रसाद॥

कर्णवती रक्षाकवच, बाँध हिमायूँ हाथ।
चली प्रथा भाई बहन, प्रेम सुधा रस साथ॥

सजीं दूकानें राखियाँ, भीड़-भाड़ बाज़ार।
पावन शुभ रक्षा दिवस, भाई बहन सुखसार॥

धर्म जाति बिन भेद के, राखी पर्व महान।
श्रावण का पूनम दिवस, हो भाई द्युतिमान॥

कोरोना की आपदा भाई-बहन हैं दूर।
राखी बिना कलाईयाँ, सूनी बन मजबूर॥

वर्धापन शुभकामना, भाई बहन सब आज।
बरसें ख़ुशियों की घटा, राखी सूत्र समाज॥

राखी में संकल्प लें, नारी सबल समाज।
निर्भय शिक्षित रक्षिता, बनें बहन आवाज़॥

बहना विधि उपहार जग, कोमल चित्त उदार।
ममता करुणा माँ समा, दो रक्षा उपहार॥

कवि निकुंज करता नमन, ज्येष्ठा मातु समान।
रक्षक तेरी अस्मिता, स्नेहाशीष प्रदान॥


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