संदेश
ख़्वाब जब भी नया देखना तुम कभी - ग़ज़ल - आलोक रंजन इंदौरवी
अरकान : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन तक़ती : 212 212 212 212 ख़्वाब जब भी नया देखना तुम कभी, अपने घर की तरफ़ लौटना तुम कभी। ख़्वाब देखा तो …
ख़्वाबों की यात्रा - कविता - सुनील माहेश्वरी
एक सपने का सच होना, कितना घोर संघर्ष, फिर उसका साकार होना, कितने मुक़ाम तय करके, उसके प्रतिफल तक जाना, चाहे कितनी भी हो दुविधा, उसके…
सपना - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
राधा आज मैंने एक सपना देखा तुम दुल्हन मेरी मैं दूल्हा तेरा, सुंदरता की देवी तुम सजी संवरी सुहागन सजनी को सखियों ने आ घेरा। देख के सूरत…
सपनों की कहानी - कविता - वैभव गिरि
मानव जीवन चंचल मन है, ख़ुद को यूँ ही छलता है। जैसे बारिश की बूंदे झम झम कर, धरती पर अविरल बहता है। बहते पानी के लहरों से, सारे अरमां ब…
सपनों के पंख फैलाओ - कविता - सुनील माहेश्वरी
ज़िंदगी मेरी है यारो, तो उम्मीद भी मेरी है, इसलिए आगे बढ़ने की ज़िद भी मेरी है। कोई साथ हो ना हो, कोई साथ दे ना दे, हार अगर मेरी है, तो …
दिवा स्वप्न दिखलाने वाले - नवगीत - डॉ. अवधेश कुमार "अवध"
सूरज को झुठलाने वाले जुगनू बन इठलाने वाले सुन, नन्हें तारों की महफ़िल से यह दुनिया बहुत बड़ी है सूरज-ऊष्मा से अभिसिंचित अनुप्राणित …
कुछ ख़्वाब - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
कुछ ख़्वाब गढ़ने हो नये तो त्याग होना चाहिए, उसमें समर्पित भाव का भी मर्म होना चाहिए, जितने नयन मे ख़्वाब हैं पूरे ही होने चाहिए, न…
ख़्वाब आसमाँ का - कविता - मिथलेश वर्मा
उनका नही ये आसमाँ, जो थक के यूँ, सो गये। ख़्वाब देखे आसमाँ के फिर जमीं के ही, क्यों हो गये? देखो सुर्य और चाँद को, क्या! बादलों मे खो ग…
एक स्वप्न - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
एक स्वप्न आँखों में पालो, पैरों में कांटे भी सजा लो, मिल जाएगी मंजिल एक दिन, अपने मन को जरा संभालो, अर्जुन-सा निशाना साधो, एकलव्य सी भ…
सपनों साजन को - राजस्थानी कविता - आशाराम मीणा
मन माय मोर नाछ रया मिठी मिठी आवे हांसी, भाभी मारी फोन कर तो बात बताहू सांची। सपना माय साजन आया पकड़ी मारी बाय, मन मोहक सी बाता लाग्या…
लेखक का सपना - कविता - सुधीर श्रीवास्तव
लेखक का सपना क्या? वो तो खुद सपना है सपनों में ही जीता है सपनों में ही खाता पीता सोता है। हसीन सपने देखता/दिखाता है, सपनों का स…
ख्वाब हर दिन बुना कीजिए - ग़ज़ल - अंदाज़ अमरोहवी
दुश्मनो से मिला कीजिऐ । यूँ इबादत किया कीजिऐ ।। बस यही राह जीने की है । खवाब हर दिन बुना कीजिए ।। कोई कुछ भी न कर …
बापू अब सपने मे आते - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
खुली आंखों से बाट निहारूँ, बापू अब सपने में आते। मन ही मन में रोज पुकारूं , बापू अब सपने में आते। स्वप्न देश के वासी बापू , रस…