एक स्वप्न - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी

एक स्वप्न आँखों में पालो,
पैरों में कांटे भी सजा लो,
मिल जाएगी मंजिल एक दिन,
अपने मन को जरा संभालो,
अर्जुन-सा निशाना साधो,
एकलव्य सी भक्ति साधो,
कर्ण सा दानी बन,
स्वपन वीरों सा तुम 
आँखों में वो पालो।

कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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