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विधा/विषय "व्यंग्य कथा"
पच्चीस से माथा-पच्ची - व्यंग्य कथा - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
सोमवार, मई 24, 2021
हमारे यहाँ शादी हो समारोह हो या फिर हो तेरहवीं की दावत, जलवे जब तक तलवे झाड़ के न हो तब तक स्वर्गवासी आत्मा को भी शांती नही मिलती है। अ…
गुमशुदा आलू और प्याज - व्यंग्य कथा - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
शुक्रवार, नवंबर 06, 2020
कहाँ हो आलू? यह सवाल अब चारों और जंगल में आग की भांति फैल रहा है। आलू की ऐसी ढूनईय्या मची है कि आलू ना हो कोई सोने का जेवर हो। भाई आलू…
होम आइसोलेशन - व्यंग्य (कथा) - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
शनिवार, अक्तूबर 10, 2020
भाई जांच करो और साथ में वह भी अंग्रेजी में खरी खोटी मिल जाए तो भला मोबाइल नंबरों का क्या दोष ?और वह भी स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारिय…
व्हाट्सएप का झोल खुल गई पोल - व्यंग्य कथा - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
मंगलवार, सितंबर 29, 2020
आजकल अंग्रेजी के डी का महत्व बहुत हो गया है डिजिटल जमाने में हाल-चाल भी कैद हो गए हैं, अब कैसे हैं हम? कैसे बताएं? और खुद को हम कैसे द…