सपनों की राह में संघर्ष - कविता - रूशदा नाज़

सपनों की राह में संघर्ष - कविता - रूशदा नाज़ | Hindi Prerak Kavita - Sapnon Ki Raah Mein Sangharsh. Hindi Poem On Students. विद्यार्थी जीवन पर कविता
क्यूँ, क्या, कैसे कहाँ तक?
इन सवालों में उलझा विद्यार्थी
कल्पनाओं में ढूँढ़ता है यर्थाथ
अपने सफ़र में भटकता हुआ,
थकता हुआ,
हारता हुआ
किन्तु वह नहीं
ठहरता
उसने केवल जाना गतिशील होना
परन्तु विवशता हर बार मौक़ा देती है ठहर जाने का
वह जानता है ठहरने का तात्पर्य रुकना
और गतिशील का आगे बढ़ना
चुनता है जब अपने किसी एक को
ढूँढ़ता है अनकहे सवालों के जवाब
खोजता हुआ जब निष्कर्ष को पहुँचा पाया कि,
क्यूँ, क्या, कैसे , कहाँ तक का सफ़र कामयाबी होकर गुज़रता  है।


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