संदेश
पंछियों का दर्द - कविता - विपिन उपाध्याय
हम है पंछी हाय रे गर्मी आई रे गर्मी हम है आसमान में उड़ते स्वयं ही अपना दाना चुकते हाय रे गर्मी आई रे गर्मी सर्दी से हमें नही है दिक़्क़…
छोड़ भतैरा जाएगी - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
तोते की देख के चोंच, उठने लगा संकोच। कितना ही खा पाएगी? छोड़ भतैरा जाएगी॥ सौंप बाग़ की डोर उसे, कोस रहा था और किसे। मैं ख़ुद, ख़ुद से अं…
पक्षी की मन व्यथा - कविता - अनूप अंबर
तुम इंसानों को मुझ पर, बिल्कुल तरस ना आया है। मुझे बताओ मैंने किसको, दुख दर्द भला पहुँचाया है॥ मैं वृक्षों पर विचरण करता था, मीठे फल क…
संघर्ष - कविता - अनूप अंबर
तिनका-तिनका बीन-बीन कर, वो अपना नीड़ सजाता है । हवाओं का अभिमान तोड़ कर, वो लक्ष्य को अपने पाता है॥ ये मेहनत का आराधक है, आशाओं की लड़…
अररररे! ये क्या कर आए तुम - ग़ज़ल - रज्जन राजा
अरकान : फ़ऊलुन मफ़ऊलु फ़ऊलुन फ़ा तक़ती : 122 221 122 2 अररररे! ये क्या कर आए तुम, उजाड़ कर धूप के साए तुम। इक अपना घर बनाने के वास्ते,…
बिन बुलाया मेहमान - कहानी - आशीष कुमार
वह आता है। रोज़ आता है। बिन बुलाए आता है। वह जो मेरा कुछ भी नहीं लगता पर मेरा बहुत कुछ है। उसे देखे बिना मैं नहीं रह सकता। वह यह बात जा…
हम हैं परिंदे - कविता - अर्चना कोहली
भले ही हम सब छोटे-से परिंदे कहलाते हैं, लेकिन संघर्ष-ताप से कभी नहीं घबराते हैं। नन्हे-नन्हे पंखों से क्षितिज को पार कर लेते, अन्न-पान…