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विधा/विषय "आग"
बस आग होनी चाहिए - कविता - विनय विश्वा
गुरुवार, जुलाई 22, 2021
बिन हवा के लहरें नहीं उठती बिन चिता के देह बिलीन न होती होती है बस एक आग चाहे वो आग पानी में हो या शरीर में। बस आग होनी चाहिए चाहे दु…
अग्नि - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
मंगलवार, मई 04, 2021
हे! अग्निदेव हे! प्रलयंकर, तेरे कितने अद्भुत स्वरूप। तुम पंचतत्व के प्रबल अंग, तुम सूर्य देव के एकरूप। तुम से ही भोज्य बने भोजन, तुमसे…
लगी आग नफ़रत की ऐसी - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
मंगलवार, जनवरी 19, 2021
मैं जब भी पुराना मकान देखता हूँ। थोड़ी बहुत ख़ुद में जान देखता हूँ। लड़ाई वजूद की वजूद तक आई, ख़ुदा का यह भी इम्तिहान देखता हूँ। उजड़ गया आ…
आग - कविता - अवनीत कौर
शनिवार, दिसंबर 19, 2020
शब्दों की दहकी आग किया स्वाभिमान को राख। वो आग थी गन्दी सोच की, गंदे सड़े विचारो की। शब्द थे वो निशब्द से आग के गोले से दहकते, वो शब्द…