विनय विश्वा - कैमूर, भभुआ (बिहार)
बस आग होनी चाहिए - कविता - विनय विश्वा
गुरुवार, जुलाई 22, 2021
बिन हवा के लहरें
नहीं उठती
बिन चिता के
देह बिलीन न होती
होती है बस
एक आग
चाहे वो आग
पानी में हो
या शरीर में।
बस आग
होनी चाहिए
चाहे दुनिया को
उजाले के लिए
या अपने को
जलाने के लिए।
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