नारी - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी

तुम सूर्य किरण हो बंधन की 
जिस ओर तेरा वह चेहरा हो,
मन के गहरे तुम अंधकार में 
नयन ज्योति की आशा हो,
बहना, बेटी और बंधनी की,
तुम एक नई परिभाषा हो,
घर के आँगन की क्यारी की 
फूलों सी बेटी आशा हो,
तुम सूर्य किरण हो बंधन की 
हर बंधन की नई परिभाषा हो।

कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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