संदेश
विधा/विषय "भाग्य"
भाग्य - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
शुक्रवार, दिसंबर 16, 2022
हे मानुष! भाग्य को कोस कर, विकास को अवरोध मत कर। श्रम बिंदु से लिख दे ललाट को, क्योंकि तू देव नहीं है नर। इंसान के सोच को, भाग्य पर …
हाथों की लकीरें - कविता - दीपक राही
बुधवार, अगस्त 24, 2022
हाथों की लकीरों को मैंने कभी नहीं पढ़ना चाहा, कभी किसी ज्योतिष से दशा-दिशा नहीं पूछी, नक्षत्र ग्रह नहीं पूछें, कभी विश्वास नहीं किया क…
भाग्य - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'
सोमवार, अप्रैल 25, 2022
आवश्यकता है कर्म की, साहस और परिश्रम की। भाग्य भरोसे मत रहना, चलो राह अब श्रम की। बढ़ना जो चाहे आगे, शुरुआत आज ही कर। जो पाना है लक्ष…
वो मुक़द्दर कहाँ गया - ग़ज़ल - प्रदीप श्रीवास्तव
शनिवार, जून 26, 2021
अरकान : मफ़ऊल फ़ाइलात मुफाईलु फाइलुन तक़ती : 221 2121 1221 212 बचपन का वो मासूम सा मंज़र कहाँ गया। वो गाँव का छोटा सा समंदर कहाँ गया। अन-…
कर्मवीर बनो - कविता - मधुस्मिता सेनापति
शनिवार, अक्तूबर 17, 2020
विधाता को क्यों कोसना जब कर्म पर हैं भरोसा विधाता ने सर्वांग सही सलामत दिए तो भाग्य पर क्यों रखते हो आशा ...? बिना कर्म किए भाग्य को क…