संदेश
सूखा पत्ता हूँ उपवन का - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
इंतज़ार मैं करता रहता, सुबह, दोपहर और शाम। अब नही कोई चिट्ठी आती और ना आता पैग़ाम।। कोई याद ना करता मुझको, और ना कोई फ़ोन करे। सूखा पत्त…
काश तुम समझ पाती - कविता - गौरव पाण्डेय
आसमान की बारिश को कोई रोक न पाए, जाने वाले हमराही को अब कौन समझाए, रिश्तों में कम हुई मिठास कभी नहीं है बढ़ पाती, हमारे इसी रिश्ते को …
आह भरते रहे ग़म उठाते रहे - ग़ज़ल - अभिषेक मिश्र
आह भरते रहे ग़म उठाते रहे, जिंदगी भर उन्हें हम मनाते रहे। हमने की ही नहीं बद गुमानी कभी, बस यही सोच कर छटपटाते रहे। बात थी इश्क़ की इसलि…
विरह की अग्नि - कविता - भारमल गर्ग
बिंदी माथे पे सजाकर कर लिया सोलह शृंगार। प्राणप्रिय आपकी राह में बिछाई पुष्प वह पगार।। शय्या पर भी चुनट पड़ी बोले सारी-सारी रात। नींद …
मिले ग़म जो तुमको भुलाना पड़ेगा - ग़ज़ल - आलोक रंजन इंदौरवी
अरकान : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन तक़ती : 122 122 122 122 मिले ग़म जो तुमको भुलाना पड़ेगा। तुम्हें फिर से अब मुस्कुराना पड़ेगा। ज़माना है …
हालात - कविता - नृपेंद्र शर्मा "सागर"
गुम हूँ मगर मैं खोया नहीं हूँ, कई रातों से मैं सोया नहीं हूँ। सूखे नहीं आँसू मेरी आँखों के, मर्द हूँ इसलिए मैं रोया नहीं हूँ।। आज बदले…
निराशा - गीत - अभिनव मिश्र "अदम्य"
ज़िंदगी के आज ऐसे मोड़ पर आकर खड़े हैं, देख कर हालात उर उद्गार मेरे रो पड़े हैं। मन व्यथित है आज मेरा, तन थका लाचार है। दीप आशा का बुझा ह…