संदेश
ज़िंदगी - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
बे-बाक, बे-हिचक हो कर लिखती हूँ, मैं ज़िंदगी की दास्ताँ, कुछ ज़ख़्म नासूर हो रीस्तें रहें। ज़िंदगी भर ना मिली नासूर ज़ख़्मों की कोई दवा, पीड…
मेरी ग़लतियों के कारण मैंने उसको खो दिया - कविता - संदीप कुमार
हम दोनों के दरमियान बेपनाह प्यार था, दोनों को एक दूजे पर बहुत एतबार था। हर रोज़ लड़ते थे हम एक दूजे से बहुत, लेकिन एक दूजे का साथ स्वीका…
ये जीना भी कैसा जीना - कविता - तेज देवांगन
ये जीना भी कैसा जीना, दर्द से पसीजा हुआ सीना। आँखें हर दफ़ा हो रही नम, ज़िंदगी में चहु ओर ग़म ही ग़म। मुंख तरसे बतियाने को, चक्षु तरसे दर…
जब तेरी याद आती है - गीत - प्रवीन "पथिक"
जब-जब आँखें नीर बहाए, सपनों में तुझको न पाए। यही सोचकर घबराए, कि तू उससे कहीं दूर न जाए। हृदय ये भाव जगाती है, जब तेरी याद आती है। इश्…
तेरे बिना - कविता - कर्मवीर सिरोवा
तेरे बिना रो पड़ता हूँ तुझें राज़ी करने के लिए, तेरे बिना जीवन मानिंद जहन्नुम हैं, तू नहीं तो जीवन का हर सुख दुःख हैं, करता हूँ बेइंतहा …
ग़म को तुम इस तरह आजमाया करो - ग़ज़ल - आलोक रंजन इंदौरवी
ग़म को तुम इस तरह आजमाया करो, दर्द में भी कोई गीत गाया करो। रोज़ मिलते हो तुम मुस्कुराते हुए, मेरे दिल में किसी रोज़ आया करो। दोस्ती है न…
पश्चाताप - कविता - अवनीत कौर "दीपाली सोढ़ी"
पश्चाताप के बेहिसाब आँसू न मिटा सकें दोष मेरे मन का भरा पड़ा हैं, गुबार दिल में हिला दिया आस्तित्व मेरे मनोबल का हताश सा हूँ, बेइंतहा …