संदेश
कर्ज़ - कविता - अवनीत कौर
ज़िंदगी में हर इक रिश्ते का अपना कर्ज़ है ज़िंदगी में आए रिश्तों की अपनी ही इक गर्ज है इन रिश्तों के कर्ज़ ने भरी ज़िंदगी में मर्ज है। कर्ज…
मग़रूर से रिश्ते बनाते नहीं - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
मुंह मोड़कर हम जाते नहीं, इश्क गर तुम ठुकराते नहीं! यूं किसी से दिल लगाते नहीं, मग़रूर से रिश्ते बनाते नहीं! आंखों पे कब अख्तियार रहा, …
रिश्तों का बदलता स्वरूप - निबंध - देवासी जगदीश
आज की आधुनिकता हमें निरंतर चारों ओर से घेर रही है, चाहे रहन-सहन का ढंग हो, आदर सत्कार का रवैया हो, चाहे बातचीत करने का लहज़ा हो, सभी त…
मधुर रिश्ते - दोहा - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मधुरिम रिश्ते नित सुखद, हैं जीवन वरदान। अति कोमल नाजुक सतत, निर्भर नित सम्मान।।१।। निर्भर हो रिश्ते मधुर, त…
मूक रिश्ता - लघुकथा - सुधीर श्रीवास्तव
अब जब भी वह दिखती है अनायास ही बीता समय चलचित्र की तरह घूम जाता है। अभी अधिक समय बीता भी नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है जैसे कल की ही ब…
रिश्तों की बुनियाद - कविता - अतुल पाठक
उम्मीदों का कारवाँ बिछड़ने लगा, दिखावे का रिश्ता बिखरने लगा। विश्वास का अब न बचा कोई ठौर है, ज़िंदगी मौन हो गई अब न रहा कोई शोर है…
रिश्तों मे सबसे बड़ी पूँजी है विश्वास - आलेख - सुषमा दीक्षित शुक्ला
कोई भी रिश्ता प्रेम और विश्वास इन दो पहियों पर चलता है ,एक भी पहिया डगमगाया तो रिश्ते का पतन तय है । रिश्ता ऐसा हो कि शब्दों की ज…
रिश्ते बड़े अजीब होते हैं - कविता - मधुस्मिता सेनापति
रिश्ते बड़े अजीब होते हैं कभी रिश्ते दिमाग से बनती है तो कभी दिल से होती है रिश्ते बड़े अजीब होते हैं......!! रिश्ते बड़ी अजीब …
रिश्तों के बीज - कविता - सौरभ तिवारी
रिश्तों में भूख भी होती है, प्यासे रिश्ते भी होते हैं। रिश्तों में बसंत बहार भी है इनमें पतझड़ भी होते हैं। अहसासों की खाद मिल…
रिश्तों का हाल - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला
जब पहले वाले लोग सभी पत्तों मे खाना खाते थे । घर में मेहमां के आते ही वह हरे भरे हो जाते थे । माटी के वर्तन का प्रयोग ज…