संदेश
जाति - कविता - प्रीति बौद्ध
यह जो हमारी जाति है। वह कभी न जाती है।। इस जाति ने बहुत ही सताया है ऊंचे पदों का अपमान कराया है यह किसी ने षड्यंत्र रचाया है कुदरत ने …
वहशी मानव - कविता - भागचन्द मीणा
कहते हैं आदित्य मनुज तुम, कौन राह पर निकले हो बदल चुके हो अन्धकार में, असुर राह पर निकले हो। लालच में अंधे हो कर तुम, खुद को कितना बदल…
मानव परिकल्पना - कविता - विनय विश्वा
ये दुनिया सूरज, चाँद, तारे है अनंत ब्रह्मांड न्यारे। मानव की है परिकल्पना अधूरी बार-बार करते वो सिद्धि पूरी। कभी ग्रह नक्षत्रों की खोज…
मानव स्वभाव - कविता - कुन्दन पाटिल
सोचता हूँ, खयालों मे डुब जाता हूँ। खयाली पुलाव मन हि मन पकाता हूँ।। अच्छे विचारों से मन प्रफुल्लित हो जाता हैं। खुशियाँ और आनंद कि बहा…
मानव-मन है अति मालिन, धैर्य खो रहे लोग - कविता - दिनेश कुमार मिश्र "विकल"
मजबूरी कैसी बनी, हो अति दीन रो रहे लोग। मानव-मन है अति मलिन, धैर्य खो रहे लोग।। यह है कैसी महामारी, जिसे भोग रहे हैं लोग। अपनों…
मानव का हूनर, क्या कहना - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
मानव का हूनर ! क्या कहना, है जीवन का षोडश गहना। उत्थान पतन के राहों से, गम खुशी साथ लेकर चलना। खोटे सिक्के …
मानव धर्म - कविता - शेखर कुमार रंजन
यह कविता बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर को समर्पित किया जा रहा है। बाबा साहेब डॉ० भीमराव अंबेडकर इसी जन्म मे इसी जीवन मे हम…