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हे आदि सिंह वाहिनी! - कविता - राघवेंद्र सिंह | माँ चंद्रघंटा पर कविता
हे आदि सिंह वाहिनी! सुगंध दिव्य दायिनी। दिवस तृतीय रूप तुम, हो शक्ति का स्वरूप तुम। हो मातु तुम ही रक्षिका, हो दुष्ट-दैत्य भक्षिका। हो…
हे मातु ब्रह्मचारिणी! - कविता - राघवेंद्र सिंह
नमः नमः विहारिणी, हे मातु ब्रह्मचारिणी! दिवस द्वितीय पूजिता, हो मंत्रध्वनि हो कूजिता। है श्वेत ये मुखाकृति, स्वरूप सौम्य स्तुति। हो त्…
नवरात्रि - कुण्डलिया छंद - सुशील कुमार
माता दुर्गा का लगे, तीजा रूप महान। अर्धचंद्र है भाल पर, चंद्रघंटा सुजान॥ चंद्रघंटा सुजान, भुजा दस सोहे माँ के। मिट जाते सब पाप, करे दर…
हे माँ! उद्धार करो - गीत - गोकुल कोठारी
अज्ञान, तमस का रक्तबीज जो बढ़ता ही जाता है, नए कलेवर में दानव सेना, सचमुच जी घबराता है। हे मातुशक्ति! हे कल्याणी! फैला है कलुष उद्धार …
नवरात्रि - कविता - शेखर कुमार रंजन
दाएँ हाथ त्रिशूल लेकर, बाएँ हाथ कमल के फूल, बेटा के घर हर्ष से आना, जाना ना मइया तू भूल। बाएँ हाथ कमंडल रखना, दाएँ हाथ में माला, सर पर…
शैलपुत्री - कविता - डॉ॰ सरला सिंह 'स्निग्धा'
प्रथम वन्दित हैं शैलपुत्री, गाते गुण कर जोड़े चारण। बाएँ हाथ में कमल पुष्प, पार्वती माँ का नाम दूजा। खाली नहीं मनोरथ जाए, जिसने है मात…
हे हिमसुता! हे शैलजा! - कविता - राघवेंद्र सिंह | प्रथम शक्ति स्वरूपा माँ शैलपुत्री पर कविता
हे हिमसुता! हे शैलजा! हो पूज्य तुम प्रथम सती। हो श्वेत वस्त्र धारिणी, दिवस प्रथम है स्तुति। हो रात्रि नव में तुम प्रथम, दिवस प्रथम करे…