नवरात्रि - कविता - शेखर कुमार रंजन

दाएँ हाथ त्रिशूल लेकर, बाएँ हाथ कमल के फूल,
बेटा के घर हर्ष से आना, जाना ना मइया तू भूल।

बाएँ हाथ कमंडल रखना, दाएँ हाथ में माला,
सर पर अपनी चाँद लिए, समृद्धि घर तू लाना।

बड़ी तन्मयता से बुला रहा हूँ, मइया तू आ जाना,
बैठ सिंह महाराज के ऊपर, जल्दी से माँ आना।

कात्यायनी, कालरात्रि और महागौरी तू आना,
नवरात्रि भर साथ तू रहकर, बेटे पे प्यार लुटाना।

मेरी आराधना से ख़ुश हो जाना माँ सिद्धिदात्री,
तेरी कृपा से सिद्धि मिले माँ, मुझको इस नवरात्रि।

शेखर कुमार रंजन - बेलसंड, सीतामढ़ी (बिहार)

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