संदेश
तेरे रूप अनेक हैं मैया - कविता - आशीष कुमार
तेरे रूप अनेक हैं मैया, हर रूप में हमको भाती हो। नवरात्रि में नौ दुर्गा रूप में, हम पर ममता लुटाती हो। तीनों लोक हैं काँपे तुमसे, जब श…
माँ तेरा सहारा - कविता - राकेश कुशवाहा राही
माँ तेरा जो एक सहारा हो जाए, तो यह मेरा जीवन सफल हो जाए। धन-वैभव सुख की मुझे चाह नहीं, बस तेरा दिव्य रूप साकार हो जाए। भटकता रहा है चह…
नवरात्रि की धूम - गीत - रविंद्र दुबे 'बाबु'
देखो-देखो रे नाचे मोर मैं भी नाचूँगी... देखो देखो रे नाचे मोर मैं भी नाचूँगी... नवरात्रि की धूम मची हैं करते नमन हम सब जन थाल सजा के…
नवरात्रि महापर्व - कुण्डलिया छंद - शमा परवीन
मनभावन पावन लगा, नवरात्रि महा पर्व। करते आएँ हैं सदा, हम सब इस पर गर्व॥ हम सब इस पर गर्व, चेतना नई जगाएँ। रख कर नौ उपवास, मातु को शीश …
आदिशक्ति के नौ रूप - गीत - सिद्धार्थ गोरखपुरी
आदिशक्ति के नौ रूपों का, इस नवरात्रि में स्वागत है। माँ दुर्गा की पूजा को आतुर, सारा जहाँ और भारत है। नारी शक्ति को संबल देकर माँ ने म…
नमन तुझे माँ अम्बिका - कविता - राघवेंद्र सिंह
हिन्दू वर्ष का प्रथम, वह चैत्र मास आ गया। है आ गई बसंत ऋतु, कुसुम पलाश आ गया। बुला रहे नयन तुझे, तू आ मेरी माँ चंद्रिका। नमन तुझे मा…
जगत जननी माँ - गीत - सुषमा दीक्षित शुक्ला
ओ माँ! जगत जननी माँ, अब मेरा कल्यान कर दे। हम तो हैं इक शिशु तुम्हारे, माँ हृदय में ज्ञान भर दे। 2 हे क्षमामयि! हे दयामयि! अब मेरा उद्…