संदेश
तू ज़रा सब्र तो कर - कविता - अशोक योगी
जीत जाएगा जंग-ए-ज़िंदगी एक दिन, तू ज़रा जिगर में सब्र तो कर। निकलेंगे उजाले स्याह रातों से एक दिन, तू ज़रा मुश्किलों से अगर मगर तो कर। …
एक नई दिशा - कविता - प्रिती दूबे
हौसलों के पंख लगाकर, एक नई दिशा की ओर बढ़ो। सफलता की ऊँचाइयों को छूकर, एक नया समाज गढ़ो। तुम नहीं हो बेटों से कम, तुममे भी है हिम्मत औ…
ऐ युवा देश के जागो! - कविता - रूशदा नाज़
ऐ युवा देश के जागो! तुम कब तक सोते रहोगे? माशरे में हो रहा क्या? कब तक अनभिज्ञ रहोगे? तुझे कोई ख़बर नहीं, कुछ भी असर नहीं, तू डूबा फ़ोन,…
तुम अजेय हो - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
सुनो! स्वयं के विश्वासों पर, ही जगती में टिक पाओगे। गांँठ बाँध लो मूल मन्त्र है, यही अन्यथा मिट जाओगे॥ साहस-शुचिता से भूषित तुम, धरत…
तुम उठो हिन्द के रणधीरों - कविता - राघवेंद्र सिंह
तुम उठो हिन्द के रणधीरों, रणभेरी का न सुनो राग। सामर्थ्य विजेता बनो स्वयं, क्रोधानल का तुम करो त्याग। यह नहीं हस्तिनापुर, चौसर, न इन्द…
हे शूरवीर - कविता - राजेन्द्र कुमार मंडल
वज्र सा तुम प्रहार बनो, विघ्न हर्ता तलवार बनो। लक्ष्य को निहारो हर क्षण, चाहे रण लड़ना पड़े भीषण॥ भले काल विकराल विषम हो, कलह, वि…
जीवन एक संघर्ष है - कविता - उमेन्द्र निराला
जीवन एक संघर्ष है और हम पथिक है उसके, राहें सरल नहीं है बाधाएँ हर पग है तो इससे डरना क्या? मुझे गिराने की चाहत में गिर रहें हैं ख़ुद, म…