संदेश
बसेरा - कविता - नेहा श्रीवास्तव
बीत रहा था एक विहग सुषमय जीवन उड़ जाता था दूर गगन में स्वप्न सँजोए जीवन उसको लगता सुन्दर, सरस, मनोहर हरा भरा वन नील गगन और सुन्दर उपवन…
मुक्ति संघर्ष - कविता - आशीष कुमार
पिंजड़े में क़ैद पंछी, करुण चीत्कार कर रहा। ऊपर गगन विशाल है, वह बंद पिंजड़े में रह रहा। टीस है उसके दिल में, तिल-तिल कर है मर रहा। निर…
गौरैया के अंडे - कविता - अभिषेक मिश्रा
गौरैया के नीले अंडे इनमे छिपी हुई नन्ही से सी जान बड़े दिनों बाद शायद मुद्दतों बाद, उस चिड़िया ने सहेज का रखे थे ऊँचे अटारी पर इस उम्…
नीलकंठ - कविता - मोनी रानी
आसमान में हमनें उसे उड़ते देखा, आसमानी पंख और नीले कंठो वाला पक्षी बहुत हीं प्यारा। उड़कर वो हमेशा बिजली की तारों पर बैठे हमारे मन को, ख़…
चिड़िया की वेदना - गीत - भगवत पटेल
मेरी इक छत की मुँडेर से, बोले एक चिरैय्या, सुन भैय्या! सुन भैय्या! सुन भैय्या!! पानी नही बरसाता बादल, मैं प्यासी की प्यासी, भूखे प्यास…
पंखाचल - कविता - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
दबा चोंचभर मिटट्टी लाती, दीवारों में वह चिपकाती। बच्चों के आवास के लिए, एक पक्का घोंसला बनाती।। घूम-घूम कर घर-घर दिन भर, चुन-चुन कर …
गौरैया - कविता - डॉ. सरला सिंह "स्निग्धा"
मैं नन्ही छोटी गौरैया, बोलो तेरा क्या लेती थी। चुगती थी दाने दो चार, खुशियाँ तेरे घर भर देती थी। नन्हा सा इक मेरा घोंसला, वो भी तुझको …