मेरी इक छत की मुँडेर से, बोले एक चिरैय्या,
सुन भैय्या! सुन भैय्या! सुन भैय्या!!
पानी नही बरसाता बादल, मैं प्यासी की प्यासी,
भूखे प्यासे बच्चे रहते, घर घर घिरी उदासी।
खूँटे पर छटपटा रही है प्यासी गैय्या मैय्या।
मेरी इक छत की...
दाना नहीं उगा खेतों में, मैं क्या चुगने जाऊँ?
अपने प्यारे चूजों को मैं, क्या भोजन करवाऊँ।
डाली सूख गई पेड़ों की, नहीं नीड़ पर छइया।
मेरी इक छत की...
काटे सारे जंगल तूने छाया कहाँ रहेगी?
रोके से ना रुके हवाएँ, नदियाँ कहाँ बहेंगीं?
आँधी चले आग बरसती न डोले पुरवइया।
मेरी इक छत की...
आओ पेड़ लगाएँ मिलकर, फिर छाए हरियाली,
हरी भरी धरती माता हो, हो चहुंदिश ख़ुशहाली।
बाग़ों में कलियाँ लहराएँ, चले विकास का पहिया।
मेरी इक छत की...
भगवत पटेल - जालौन (उत्तर प्रदेश)