संदेश
यह दुनिया एक भ्रम है - कविता - प्रशान्त 'अरहत'
हम जिस दुनिया में रहते हैं, वो हक़ीक़त नहीं है, एक भ्रम है। हम एक पूरे भ्रम और अधूरे सच के बीच जी रहे हैं, जो भ्रम किसी भी समय पूरा हो स…
सैरगाह - कविता - नागेन्द्र नाथ गुप्ता
कौन किसकी परवाह करता यहाँ, कौन गैरों की वाह वाह करता यहाँ। कहने को अपने कहलाते हैं लोग, कौन ख़ुद को गुमराह करता यहाँ। गिरता झरना झरझर क…
किस पर है दुख भारी दुनिया - ग़ज़ल - ममता शर्मा 'अंचल'
अरकान : फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन तक़ती : 22 22 22 22 किस पर है दुख भारी दुनिया, क्या सच है बतला री दुनिया। दुख है तो कारण भी होगा, ठी…
दुनिया - कविता - बृज उमराव
सूनी धरती सूना अम्बर, सूना यह जग सारा। आओ मिलकर दीप जलाएँ, दूर करें अंधियारा।। जग की रीति है बड़ी पुरानी, तेरी मेरी भिन्न कहानी। सब मि…
कैसी दुनिया - गीत - सरिता श्रीवास्तव "श्री"
ईश्वर कैसी दुनिया है तेरी, यहाँ रोते लोग हज़ारों हैं। मंदिर में छप्पन भोग लगें, प्रभु फल मेवा भण्डारे चुगें, तरसते भिक्षुक हज़ारों हैं। …
स्वार्थी दुनिया - कविता - आराधना प्रियदर्शनी
जब जी चाहा जज़्बात दिखाया, जब जी चाहा यादों से हटा दिया। जब जी चाहा मुकर गए वादों से, जब जी चाहा गले लगा लिया। ना समझी वज़ह शिकवों की कभ…
ये दुनिया सारी है नश्वर - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
ना तेरा है ना मेरा है यहाँँ , क्या ले के आया है मुसाफ़िर ? धन-दौलत और अट्टालिकाएं , ये दुनिया सारी है नश्वर । कल यह सब सिम…
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