यह दुनिया एक भ्रम है - कविता - प्रशान्त 'अरहत'

हम जिस दुनिया में रहते हैं,
वो हक़ीक़त नहीं है, एक भ्रम है।
हम एक पूरे भ्रम और अधूरे सच के बीच जी रहे हैं,
जो भ्रम किसी भी समय पूरा हो सकता है।
ये भ्रम हमें लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए
एक नई ऊर्जा और उत्साह देता है।

इसमें सब कुछ भ्रम है,
हम सभी के लिए यह भ्रम उतना ही ज़रूरी है
जितना कि पृथ्वी के लिए गुरुत्वाकर्षण बल।
यह भ्रम टूटने से सब-कुछ डगमगा सकता है, बिखर सकता है। 

सब कुछ मरणशील है,
कुछ भी शाश्वत नहीं है।
शाश्वत है तो सिर्फ़–
परिवर्तन का नियम,
इश्क़ और इंक़लाब की कविताएँ,
हम और तुम।
हम लोग ज़िंदा रहेंगे अलग-अलग पृष्ठों पर।

प्रशान्त 'अरहत' - शाहाबाद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos