संदेश
प्रेमिका - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
जन्मों का वादा था, राह में ही वो छोड़ गई। था नाज़ुक सा हृदय मेरा, जिसको वो तोड़ गई। प्राण बसे है तुझमें मेरे, ऐसी बातें करती थी। हर …
गहरी उदासी - कविता - प्रवीन 'पथिक'
तूफ़ान के थपेड़ों के बीच, फँसी मेरी ज़िंदगी! चाहती है आज़ादी; ताकि विचर सके स्वच्छंद आकाश में। बादलों के पीछे, जहाॅं कोई देख न सके। वाग…
दुःख एक सोच - कविता - युगलकिशोर तिवारी
मैं दुःख हूँ पीड़ा, चिन्ता, कष्ट न जाने मेरे कितने रूप हूँ, कभी मन से, कभी तन से, कभी धन से स्वरूप हूँ। ये तुम्हारी सोच है कि मैं कुरु…
मारा ग़म ने - गीत - गोकुल कोठारी
नहीं तुमने, नहीं हमने, मारा अगर तो, मारा ग़म ने। नैनों से कहो, ज़्यादा न बहो, समझे हैं हम, कहो न कहो। गिनते थे दुनिया के हम तो लाख सितम,…
दुख की सीमा घनीभूत है - कविता - संजीव चंदेल
दुख की सीमा घनीभूत है, चारों ओर कंद्रन रोदन है। ग़म की काली रात है देखो, ये कैसा उत्पीड़न है। मन कितना उद्वेलित है, हर के जीवन में चिंत…
सूखा पत्ता हूँ उपवन का - कविता - डॉ. कमलेंद्र कुमार श्रीवास्तव
इंतज़ार मैं करता रहता, सुबह, दोपहर और शाम। अब नही कोई चिट्ठी आती और ना आता पैग़ाम।। कोई याद ना करता मुझको, और ना कोई फ़ोन करे। सूखा पत्त…
दुःख - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
दुःख तेरा एहसान है कि सुख का एहसास करा देता है, व्यथा ही एक ऐसी विधा है, जो ईश्वर को याद दिला देता है। अगर विपत्ति न हो तो अपनों की प…