संदेश
दिल बेक़रार होने लगा हैं - गीत - शमा परवीन
प्यार, बेहद, बेशुमार होने लगा हैं, ये सोच कर दिल बेक़रार होने लगा हैं। अभी तो बचपन पार किया हैं, कुछ जल्दी ही इक़रार होने लगा हैं। ज़म…
आँखों के सामने - कविता - रमेश चंद्र वाजपेयी
आँखों के सामने देख आपका ये चेहरा, दिल खिला गुलाब सा नींद करे किनारा। लगता है जागते रहें सारी रात बस यूँ ही साथ न छूटे अपना, न हो कभी …
दिल तोड़कर दिल लगाना बुरा है - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
दिल तोड़ कर दिल लगाना बुरा है! नज़र से नज़र फिर मिलाना बुरा है!! वक़्त की नज़ाकत है फ़ासले रक्खो, चलना संभल कर ज़माना बुरा है! करो इश्क़ यूँ क…
क़ातिलों की बस्ती में बेबस दिल - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन
सुर्ख़ हाथों से तेरा नाम लिखता हूं, रस्मे-उल्फ़त का पैग़ाम लिखता हूं! वो लिखती है तन्हा रात का मंज़र, मैं सुरमई सी कोई शाम लिखता हूं! जो क…
दिल के घाव हरे हो गए - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
बदहाली की एक तस्वीर जब नज़र आई , तन के सब रोम-रोम खड़े हो गए । जो काफी समय पूर्व ही भर चुके थे , वो दिल के घाव फिर हरे हो गए । आज …
मेरा दिल बहुत बेचैन है - कविता - कानाराम पारीक "कल्याण"
मेरा दिल बहुत बेचैन है, इसे पल-भर ना चैन है। जीवन के इस संघर्ष में, दिन सोया पर जागी रैन है। मेरा दिल...... नई सुबह की आश में, कुछ पान…
दिल करता है - कविता - सन्तोष ताकर "खाखी"
कोई हैं जो रूठा था, मनाने को दिल करता है। कोई हैं जो गीत था, गुनगुनाने को दिल करता हैं। कोई है जो दोस्त से थोड़ा ज्यादा था, दीवाना कहन…