मेरा दिल बहुत बेचैन है,
इसे पल-भर ना चैन है।
जीवन के इस संघर्ष में,
दिन सोया पर जागी रैन है।
मेरा दिल......
नई सुबह की आश में,
कुछ पाने की तलाश में।
टुटे हुए हौसलों में भी,
नये स्वप्न बुनते नैन हैं।
मेरा दिल......
हर तरफ उमड़ा शोर है,
लद गया बाधाओं का दोर है।
कैसे उड़ान भर पाऊँ,
यहाँ आज़ाद उड़ाने बैन हैं।
मेरा दिल......
प्रिय नहीं मेरे पास में,
कैसे नरमी बरतूँ प्यास में।
मैं बार-बार समझाऊ, फिर भी,
इसे पल-भर ना चैन है।
मेरा दिल......
कानाराम पारीक "कल्याण" - साँचौर, जालोर (राजस्थान)