दिल बेक़रार होने लगा हैं - गीत - शमा परवीन

प्यार, बेहद, बेशुमार होने लगा हैं,
ये सोच कर दिल बेक़रार होने लगा हैं।

अभी तो बचपन पार किया हैं,
कुछ जल्दी ही इक़रार होने लगा हैं। 

ज़माना कहीं बंदिशे ना लगा दे,
मिलना दुशवार होने लगा हैं। 

तू रखा कर ख़्याल अपना, 
मन बेख़्याल होने लगा हैं। 

अक्सर रहता था ख़ामोश दिल,
आजकल वाचाल होने लगा हैं।

कही बवाल ना हो जाए,
तेरा इंतज़ार होने लगा हैं। 

अब छुपाए नहीं छुपता, 
इश्क़ सरेआम होने लगा हैं। 

मोहब्बत-ए-उसूल से वाक़िफ़ नहीं,
आरज़ू-ए-तलबगार होने लगा हैं।

ज़रा ठहरो समझने दो हमें, 
लगता हैं प्यार होने लगा हैं।

जफ़ा-ए-उल्फत था "शमा"
वफ़ा पाने का हक़दार होने लगा हैं।

शमा परवीन - बहराइच (उत्तर प्रदेश)

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