संदेश
विधा/विषय "जाति"
अस्मिता - कविता - डॉ॰ अबू होरैरा
सोमवार, जनवरी 08, 2024
कौन हो बे तुम? पसमांदा मुसलमान हैं साहब अबे कौन सी जात से हो अन्सारी हैं साहब ओह्ह... जुलाहा हो! जी साहब। आपके तन को ढँकने वाला मेहनत…
जाति, जाती नहीं - कविता - शिवानी कार्की
मंगलवार, दिसंबर 05, 2023
माँ, आपने मुझे बचपन से सिखाया था... कि पानी देवता हैं सबका साँझा है और तुम तो शुक्र करो कि तुम इंसान हो... इतना बड़ा लोकतंत्र है और ना…
जाति-पाँति - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
शुक्रवार, फ़रवरी 11, 2022
जाति-पाति में मत उलझो, रहना है हमें हर ठाँव बराबर। सिर के ऊपर सूरज तपता, तो पाँव के नीचे छाँव बराबर। चमड़े का है रंग अलग पर लहू एक जैसा…
प्रेम और जाति-धर्म - कविता - नीरज सिंह कर्दम
शुक्रवार, फ़रवरी 05, 2021
मैं आ जाती तुम्हारे साथ क़दम से क़दम मिलाकर चलने को, पर मेरे पैरों को जकड़ लिया जाति-धर्म की बेड़ियों ने। हम मिलते थे हर रोज़ उस स्कूल के…
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