संदेश
सावन की बरसात - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
ग्रीष्मातप सूखी धरा, छाया नभ घनश्याम। सावन की बरसात अब, बरस रही अविराम॥ रिमझिम मधुरिम बारिशें, भरे खेत खलिहान। प्रीत हृदय सावन मिलन, ख़…
तन्हाई - देव घनाक्षरी छंद - पवन कुमार मीना 'मारुत'
उमड़कर उदासी उन्मुनी उलझन-सी, उदास उधर उसे इधर इसको करत। वह वहाँ तड़पती तुम तमा तरसते, उदासी उनकी दिल दहलाती मन मरत। बनी बेडी़ बेरहम प्र…
आत्मबोध - गीत (लावणी छंद) - संजय राजभर 'समित'
कोई कठिन जादू नहीं तू, न ही सरल छू मंतर है। इधर-उधर न खोज रे! ख़ुद को, तू अपने ही अंदर है। तू ही चैतन्य, तू ही सत्य, तू शाश्वत ज्योति प…
रिश्तों का दौर - घनाक्षरी छंद - महेश कुमार हरियाणवी
आया है ये वक्त कैसा रक्त नहीं रक्त जैसा। बेटा आज बाप को ही अर्थ समझाता है। चपर-चपर बोले सुनता ना हौले-हौले। जननी के सामने ना सर को झुक…
दर्दनाक विमान हादसा - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | अहमदाबाद विमान हादसे पर दोहे
दर्दनाक थी हादसा, मौत बड़ा विकराल। एयर इंडिया का पतन, हालत था बदहाल॥ निर्दोषों की मौत से, फैला हाहाकार। ढाई सौ से भी अधिक, हुई मौत चित…
पैसा बोलता है - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | पैसे पर दोहे
पैसा बोलता दुनियाँ, पैसा ही नवरंग। रिश्ते नाते मान यश, बिन पैसे बदरंग॥ पैसे ही ऊँचाइयाँ, पैसे ही सम्मान। पैसों के महफ़िल सजे, पैसा ही भ…
मेरा वतन - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | पहलगाम हमले पर दोहे
पुकारता मेरा वतन, जागो भारत वीर। पहलगाम अरिघात का, बदला लो रणधीर॥ मिटा पाक नक्शा धरा, नाश करो आतंक। महाकाल बन घात कर, बने शत्रु फिर रं…
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