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हरि - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
कमल नयन पट, नमन सकल जर, खलल जगत जब, हरि उठ छल धर। तप जप वश कर, बम शिव धर वर, मटक कमर तब, भसम करत खर। क़हर परशुधर, बरसत डटकर, क्षत्र वध …
गुरु महिमा - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
गुरु ज्ञान का अमृत, जिसका न कभी अंत। अज्ञानता गुरुवर, करते हरण-हरण॥ दीप ज्ञान का जलाए, अंधकार को मिटाए। नमन वंदन गुरु, कमल चरण-चरण॥ कर…
शशिधर बम बम - घनाक्षरी छंद - रविंद्र दुबे 'बाबु'
तिलक विजय सज गंग लट जट सट। हर हर सब पर बम बम बम बम॥ कंठ पर विषधर विष पिय जमकर। बम बम बम बम हर हर बम बम॥ सरपट करतल अपपठ फट कर। उग्र भव…
आया महीना जून का - मनहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
आया महीना जून का, सूरज उगले आग। चिलचिलाती धूप में, बाहर ना जाइए। गरम तवे सी धरती, बरस रहे अंगारे। आग के गोले सी लूएँ, ख़ुद को बचा…
नारी सशक्तिकरण - घनाक्षरी छंद - संगीता गौतम 'जयाश्री'
ममता की मूरत हो, भला सा एहसास हो। आँचल में नेह भरा, प्रेम का आवास हो।। सृष्टि का निर्माण किया, वंश बढा धरा बनी। जहाँ नहीं दुख दिखे, सु…
होली आई है - घनाक्षरी छंद - डॉ॰ सुमन सुरभि
1 चहुँ दिश उड़ रहा, रंग औ गुलाल सखी, सतरंगी चुनरी में, सज होली आई है। लाल हैं कपोल और, पीत रंग दिव्य भाल, कंचुकी भी प्रीत भरे रंग में, …
प्यारा-प्यारा हिन्द देश - देव घनाक्षरी छंद - ओम प्रकाश श्रीवास्तव 'ओम'
प्यारा-प्यारा हिंद देश, भिन्न-भिन्न भाषा वेश। पर रहती एकता, बसता उर में वतन।। झंडा रहे सदा ऊँचा, चाहे ये देश समूचा। भारत माता का शीश, …