संदेश
मन-मंदिर - जलहरण घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
आस्था विश्वास रहते, प्रेम सद्भाव बहते, मनमंदिर में जोत, जगाते चले जाइए। महकते पुष्प खिले, ख़ुशबू जग में फैले, शब्द मोती चुन चुन, रिश्तो…
मेरे देश की धरती - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
मेरे देश की धरती, साहस उर भरती, लहरें तिरंगा प्यारा, हिंदुस्तान हमारा। जोश जज़्बा हौसलों की, भरते नई उड़ान, जोशीले स्वर में गाते, जय हि…
सावन सुहाना आया - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
सावन सुहाना आया, आई रुत सुहानी रे, बरसो बरसो मेघा, बरसाओ पानी रे। बदरा गगन छाए, काले काले मेघा आए, मोर पपीहा कोयल, झूमे नाचे गाए रे। र…
बरस बरस मेघ राजा - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
मेघ राजा बेगो आजा, बरस झड़ी लगा जा। सावन सुहानो आयो, हरियाली छाई रे। अंबर बदरा छाए, उमड़ घुमड़ आए। झूल रही गोरी झूला, बाग़ा मस्ती छाई…
पर्यावरण और मानव - घनाक्षरी छंद - अशोक शर्मा
धरा का शृंगार देता, चारो ओर पाया जाता, इसकी आग़ोश में ही, दुनिया ये रहती। धूप छाँव जल नमीं, वायु वृक्ष और ज़मीं, जीव सहभागिता को, आवरन क…
माँ - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
ममता की मूरत माँ होती ख़ूबसूरत माँ, आँचल की छाँव तेरी हर बला टालती। करती ख़ूब प्यार माँ मधुरम दुलार माँ, ममता के मोती सारे मुझ पर वारती।…
बेटी - घनाक्षरी छंद - रमाकांत सोनी
लक्ष्मी अवतार बेटी, घर का संस्कार बेटी, देश का सम्मान होती, दो दो वंश तारती। शिक्षा की जोत जलाती, घर में रौनक लाती, हुनर कौशल दिखा, घर…