संदेश
विधा/विषय "काँटा"
काँटों से अपनी यारी - कविता - राकेश राही
बुधवार, जून 29, 2022
फूलों से इश्क़ क्या राही काँटों से अपनी यारी, काँटों की चुभन में वफ़ा मोहब्बत से है प्यारी। इश्क़ के बाज़ार में दर्द-ओ-ग़म लेकर खड़े रहे, लु…
फूल मुरझाए हैं - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"
शुक्रवार, मार्च 12, 2021
फूल मुरझाए हैं, काँटों पे बहार आई है, क्या पता, कैसा ये बसन्त फ़िज़ा लाई है। क्या पता, काँटों की फूलों से क्या अररियाई है, फूल मुरझाए …
काँटों भरी राह - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
शुक्रवार, जनवरी 08, 2021
काँटों भरी राह मुझे चलने दो। सदियों से बंधी पाँव बेड़ियाँ। तोड़ बेड़ी मशाल प्रव्जलित करने दो।। मुझे काँटों भरी राह चलने दो। हवा रुख बदलत…
फूल और काँटे - गीत - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
सोमवार, सितंबर 07, 2020
फूल और काँटे जीवन बन, मधुरिम खूशबू महकती हैं। नित गन्धमाद पंकिल सरोज, सुख दुख तटिनी बन बहती हैं। काँटें नित स…
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