संदेश
मैं नहीं कवि जो लिखता हूँ - कविता - लखन अधिकारी
मैं नहीं कवि जो लिखता हूँ शब्दों को पीता हूँ लिखकर उगलता हूँ तराश-तराश कर चयन कर वेदनाओं में ढलता हूँ सोचता हूँ, समझ कर, कुछ-कुछ …
मैंने तो कभी लिखा ही नहीं - कविता - मयंक द्विवेदी
मैंने तो कभी लिखा ही नहीं, यह मन के उद्गार है। कुछ टीस रही होगी दिल में, ये इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। मैंने शब्दों को सँजोया नहीं, ये …
कविताएँ - कविता - सुनील कुमार महला
हर ऱोज साधना का चरम फल प्राप्त करतीं हैं कविताएँ भावनाओं को ब्रह्म पर केन्द्रित करना आसान काम नहीं है असाधारण महागाथा कविताएँ जब गातीं…
हे निशा निमंत्रण के द्योतक - कविता - राघवेंद्र सिंह | हरिवंशराय बच्चन पर कविता
आशा, वेदना और आत्मानुभूति के कवि, मधुशाला जैसी अमर कृति के द्योतक कवि शिरोमणि स्मृतिशेष हरिवंश राय बच्चन जी के चरणों में नमन वंदन करती…
गमले में बोई ग़ज़लें - कविता - रमाकान्त चौधरी
जाने कितनी घास उगी थी उन यतीम गमलों में जो रखे थे छत की मुंडेर पर। ख़र्च कर दी मैंने काफ़ी एनर्जी उन्हें साफ़ करने में। और फिर मैंने ब…
मैं क्यों लिखता हूँ? - कविता - गोकुल कोठारी
या छंद हैं? या द्वन्द्व हैं? या भीतर का दावानल? या मिटाने तीव्र तपन को शब्द बने हैं गंगाजल? या साकार हूँ? या निर्विकार हूँ? या लीक से …
कविता तुम मेरी साथी सी - कविता - मोहित त्रिपाठी
कविता तुम मेरी साथी सी संग तेल दिया तुम बाती सी, भर कर भावों से मेरा मन ज्योतित जीवन का हर क्षण। कविता तुम मेरी साथी सी अयोध्या म…