संदेश
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर - कविता - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
मैं दिनकर का अनुयायी हूँ ओज भरी हुँकार लिखूँ, देशभक्ति में क़लम डुबती कविता की रसधार लिखूँ। अन्नदाता की मसीहा लेखनी भावों की बहती धारा,…
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर - कविता - गोकुल कोठारी
छोड़े पीछे दीप हज़ारों, सूरज को जब निद्रा आए, अलसाया था जड़ चेतन, वह शब्दों से ख़ूब जगाए। प्रज्वलित है वह उष्ण दिवाकर, धरा धरोहर वाकी है…
रामधारी सिंह 'दिनकर' - कविता - आर॰ सी॰ यादव
प्रबल लेखनी के सर्जक तुम, सुंदर शब्दों के शिल्पकार। 'रेणुका' 'रसवन्ती' 'द्वंद्वगीत', 'कविश्री' की हुँक…
हे जनमानस के राष्ट्रकवि! - कविता - राघवेंद्र सिंह | रामधारी सिंह 'दिनकर' पर कविता
साहित्य धरा के नलिन पुष्प, वसुधा पर भूषित प्रवर अंश। है नमन तुम्हें दिनकर उजास, हो दीप्तिमान तुम काव्य वंश। सौंदर्यमयी आभा, विभूति, नभ…
जय दिनकर - कविता - राजेन्द्र कुमार मंडल | रामधारी सिंह 'दिनकर' पर कविता
जन-जन की कड़क वाणी हो तुम, हिंदी की प्रखर अमर कहानी हो तुम। कीर्ति तुम्हारी बने गगनचुंबी शिखर, साक्षात रवि सी आभा है तेरी दिनकर॥ भारत …
कवि होना फिर व्यर्थ है - कविता - रमाकान्त चौधरी
लिख न सके यदि दर्द किसी का, कवि होना फिर व्यर्थ है। दर्द उजालों को भी होते, पत्थर को भी आँसू आते। धूप भी जलती ख़ुद की तपन से, भीगे स…
कविताएँ जन्म लेती है - कविता - इमरान खान
स्वाभाविक है उन शब्दों का विकसित होना जिसके मूल में कविताएँ जन्म लेती है, कविता जीवन है या जीवन कविता है, जिसके अन्तस में कवि ख़ुद को …