संदेश
सुरक्षित होली प्रदूषणमुक्त होली - कविता - डॉ॰ विजय पण्डित
आओ सब मिल हँसी ख़ुशी सुरक्षित होली मनाएँ पर ध्यान रहे हरा पेड़ होलिका की भेंट चढ़ने ना पाएँ, होलिका दहन की अग्नि से दूर हो सब संताप नफरत…
उड़ गई गौरैया - कविता - सुशील शर्मा
आज गौरैया दिवस पर मैंने फिर से दी गौरैया को आवाज़ नहीं बोली घर के आँगन मुंडेरों पर चुपके से फुदक कर निकल गई पंख फुलाए जैसे ग़ुस्स…
बचपन - कविता - प्रवीन 'पथिक'
है याद आती, वह बातें पुरानी, वही प्यारा क़िस्सा, वह बीती कहानी। याद आता वह तेरा मुस्काता चेहरा, थी होती लड़ाई, पर था प्रेम गहरा। जब भी …
नहीं चाहता आसाँ हो जीवन - कविता - मयंक द्विवेदी
चाहे सौभाग्य स्वयं हो द्वार खडे, चाहे कर्ता भी हो भूल पड़े, नहीं चाहता आसाँ हो जीवन, चाहे मग में हो शूल गढ़े। जो पत्थर होऊँ तो नींव मिल…
बाँध ना पाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
व्यर्थ हुए सावन ने कहा― क्या कोई सम्भाल ना पाया, बहते-बहते पानी को, मुट्ठी में पकड़ ना पाया। यहाँ पुल तिनके से टूट गए, बाँध भी नदी, बा…
ख़ुद की तलाश - कविता - सतीश पंत
मेरे कमरे की खिड़की से आती रोशनी की किरण प्रायः पूछती है मुझसे कि क्या कर रहा हूँ मैं पहरों बैठकर चुपचाप एकांत में कभी निहारते घर की छ…
युद्ध का औचित्य - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण'
जब भ्रम ही सच्चा लगता हो, तब सत के पथ पर कौन चले। जब द्वार खड़े हों वायुयान, घोड़ों के रथ पर कौन चले॥ तिलमिला उठे जब बर्बरता, कुलबुला …