सुरक्षित होली प्रदूषणमुक्त होली - कविता - डॉ॰ विजय पण्डित

सुरक्षित होली प्रदूषणमुक्त होली - कविता - डॉ॰ विजय पण्डित | Holi Kavita - Surakshit Holi Pradushanmukt Holi - Hindi Poem About Holi. होली पर कविता
आओ सब मिल हँसी ख़ुशी सुरक्षित होली मनाएँ
पर ध्यान रहे हरा पेड़
होलिका की भेंट चढ़ने ना पाएँ,

होलिका दहन की अग्नि से 
दूर हो सब संताप
नफरत, घमंड, अज्ञानता, ग़लतफ़हमियाँ भस्म हो जाएँ,

जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आनंद का 
एक नया उजियारा छाए...

आपस में सब प्रेम, प्रीत, सद्भाव हम बढ़ाएँ
बैर-भेदभाव, गिले शिकवे 
सभी हम मिटाएँ,

आओ सब मिल हँसी ख़ुशी सुरक्षित होली मनाएँ,
चहुँओर सुरक्षित रहे हरियाली 
प्रेम प्रीत और ख़ुशियाँ फैलाएँ,

प्रदूषणमुक्त हर बार हम सब होली मनाएँ,
कुछ और पौधे रोपित कर 
फिर हम पर्यावरण प्रहरी कहलाएँ,

सींच कर उन्हें हम, विशाल वृक्ष बनाए
हरे भरे पेड़ पौधे वनस्पतियाँ बचाएँ,
आओ सब मिल सुरक्षित होली मनाएँ

प्रेम-सद्भाव व रंगो का ये अनोखा त्यौहार 
हो जाएँ सब आपसी 
प्रेम के रंगों से सराबोर...

अबीर गुलाल ख़ूब उड़ा संग फूलों से होली मनाएँ
चहुँ ओर प्रेम भाईचारे का दें संदेश
शालीनता से पावन ये पर्व मनाएँ,

आओ प्रेम से मिल जुल सब होली मनाएँ,
पर याद रहे हरा पेड़ 
होलिका की भेंट चढ़ने न पाएँ,

प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का लें सभी सकंल्प
हँसी ख़ुशी प्रेम से सुरक्षित 
सावधानी से होली मनाएँ,

डॉ॰ विजय पण्डित - मेरठ (उत्तर प्रदेश)

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